हिंडन नहीं होगी मैली, नगर निगम नालों का करेगा बायोरेमेडिएशन

 गाजियाबाद की विभिन्न कॉलोनियों का गंदा पानी ले जाने वाले नाले अब हिंडन नदी और उसके जरिए यमुना को मैला नहीं करेंगे। नगर निगम के जलकल विभाग ने इन नालों को शोधित करने का निर्णय लिया है। इसके लिए बायोरेमेडिएशन तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा। नगर निगम ने इसके लिए डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।


नगर निगम के फिलहाल 7 नाले प्रतिदिन करीब 200 एमएलडी पानी हिंडन नदी में पहुंचा रहे हैं। इसके जरिए शहर से निकलने वाली गंदगी भी हिंडन नदी में पहुंच रही है। नगर निगम के जलकल विभाग ने अब शासन के निर्देश पर इन नालों को शोधित करने का निर्णय लिया है। नगर निगम के जलकल अभियंता योगेंद्र यादव का कहना है की एक्सपर्ट के जरिए नालों को शोधित करने के लिए डीपीआर तैयार कराई जा रही है। डीपीआर तैयार कराने के बाद शासन को भेजी जाएगी और इस योजना को लागू करने के लिए फंड की मांग की जाएगी।
ऐसे होगा नालों के पानी का शोधन
जलकल अभियंता योगेंद्र यादव का कहना है कि प्रत्येक नाले को एक बड़े टैंक नुमा कंपाउंड से जोड़ा जाएगा नाले के पानी को उस कंपाउंड में लाया जाएगा और उसमें कुछ खास केमिकल मिलाकर उसका बायोरेमेडीएशन किया जाएगा उसमें से बैक्टीरिया और गंदगी को खत्म करके पानी को फिर हिंडन नदी में डाला जाएगा इसी तरीके से पांचों नालों पर एक-एक टैंक बनाया जाएगा।
हिंडन को नाले में बदल दिया कॉलोनियों की गंदगी ने
80 के दशक तक हिंडन में प्रदूषण तो बढ़ गया था, लेकिन पानी में ऑक्सीजन की मौजूदगी थी। यहां सर्दियों में विदेशी पक्षी आते थे। हिंडन नदी में मछलियां भी पलती थीं। इसके बाद औद्योगिकीकरण बढ़ा और शहर की आबादी बढ़ी तो घरों से निकलने वाली गंदगी, साबुन और डिटर्जेंट पाउडर के जरिए केमिकल हिंडन में ज्यादा मात्रा में पहुंचने लगा। अब हिंडन नदी में ऑक्सीजन की मात्रा शून्य हो गई है। हिंडन अब नाले के रूप में तब्दील हो गई है।