बंदी में खर्चे लोगों के लिए खतरा

जिले में लॉकडाउन के चलते उद्योगों पर ताले पड़े हैं लेकिन बंद उद्योगों में खर्चे भी लगातार हो रहे हैं। पिछले करीब 20 दिन से बंद पड़े उद्योगों से उद्योगपतियों के माथे पर चिंता की लकीरें आ गई हैं। खासकर बैंक लोन लेकर उद्योग चलाने वाले उद्यमी भयभीत हैं। भले ही बैंक ने ईएमआई में छूट दी हो लेकिन लोन पर लगने वाली ब्याज से उद्योगों को नुकसान होना तय माना जा रहा है। औद्योगिक संगठनों में इसको लेकर मंथन भी चल रहा है। गाजियाबाद में यांत्रिकी उत्पादों की सबसे अधिक इकाईयां हैं। उद्यमियों की मानें तो इनमें से लगभग 60 प्रतिशत इकाईयों पर बैंक लोन है। आने वाले दिनों में भी लॉकडाउन बढ़ सकता है और श्रमिकों की उपलब्धता अनिश्चित है, इससे उद्यमियों में खासा भय है। केंद्र और प्रदेश सरकार से घोषणा को लेकर उद्यमी राह देख रहे हैं। जिले में साढ़े 13 हजार उद्योग संचालित हैं। इनके अलावा अपंजीकृत उद्योगों की संख्या भी अधिक है। किसी ने बैंक से लोन लेकर मशीनें लगाई हैं तो किसी ने औद्योगिक प्लॉट लिया है। --- ये खर्चे चल रहे हैं लगातार उद्योग बंद हैं लेकिन बिजली का बिल, किराया, श्रमिकों का वेतन, जहां श्रमिक रह रहे हैं उनका भोजन, बैंक की किश्त, घर खर्च सहित तमाम खर्चे उद्योगों में बंदी के बावजूद हो रहे हैं। कोरोना के चलते उद्यमियों की रकम बाजार में भी फंसी हुई है। --- नई योजनाओं पर मंथन लॉकडाउन के हालात में उद्यमी लगातार नई योजनाओं पर मंथन कर रहे हैं लेकिन इन सबके बीच केंद्र और प्रदेश सरकार से बड़े पैकेज की घोषणा होने का भी इंतजार है। औद्योगिक संगठनों की मांग है कि बिजली का बिल और लोन पर लगने वाली ब्याज में राहत केंद्र और प्रदेश सरकार दें। --- क्या कहते हैं उद्यमी लॉकडाउन से उद्योगों के हालात बुरे हैं और इस पर भी तुरंत ध्यान देने की जरूरत है। टैक्स के ब्याज में माफी, बैंक लोन पर लगने वाले ब्याज में माफी, बिजली के बिल में राहत सरकार दे। अभिषेक गुप्ता, उद्यमी --- देश के प्रति उद्योग जगत अपनी भूमिका का निवर्हन कर रहा है। सभी अपनी तरफ से सरकार की गाइडलाइन का पालन कर रहे हैं। इस बीच उद्योगों की मौजूदा स्थिति पर भी ध्यान देने की जरूरत है। ऐसा नहीं होने पर बड़ा नुकसान होना तय है। साकेत अग्रवाल, उद्यमी